


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपना 75वाँ जन्मदिन मनाएँगे। 2014 में जब वे पहली बार प्रधानमंत्री बने थे, तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि अगले 11 वर्षों में भारत इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में इतनी बड़ी छलांग लगाएगा। मोदी सरकार की नीतियों और दूरदर्शी सोच ने भारत को उस मुकाम पर पहुँचा दिया है जहाँ आज देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन चुका है।
मोदी सरकार ने सत्ता सँभालते ही ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएँ शुरू कीं। इन नीतियों ने विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए प्रेरित किया। परिणामस्वरूप, आज एप्पल जैसे दिग्गज ब्रांड्स भी भारत में अपने प्रोडक्ट्स का उत्पादन कर रहे हैं, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खूब मांग है।
कुछ साल पहले तक भारत मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के लिए पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर था। लेकिन आज तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। आँकड़े बताते हैं कि 2014 में भारत में केवल दो मोबाइल निर्माण इकाइयाँ थीं, जबकि अब इनकी संख्या 300 से अधिक हो गई है। यही नहीं, भारत अब केवल घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं करता, बल्कि मोबाइल फोनों का बड़ा निर्यातक भी बन गया है। निर्यात में हुई इस तेज़ वृद्धि ने भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थान दिलाया है।
मोदी सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना, टैक्स सुधार और निवेश-अनुकूल वातावरण जैसे कदमों ने भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित किया है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पिछले दशक में भारत ने मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में ऐतिहासिक क्रांति देखी है।